मनोरंजक कथाएँ >> सांप लोमड़ी और चतुर किसान सांप लोमड़ी और चतुर किसानए.एच.डब्यू. सावन
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बच्चों के लिए आकर्षक एवं मनोरंजक कहानियाँ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सांप, लोमड़ी और चतुर किसान
एक समय की बात है, एक किसान दिनभर अपने खेतों में काम करके घर वापस लौट
रहा था। तभी उसने सहायता के लिए पुकारती एक कातर आवाज सुनी। उसने इधर-उधर
देखा, थोड़ा घूमा-फिरा तब कहीं जाकर उसकी समझ में आया कि आवाज एक बड़े
पत्थर के नीचे से आ रही थी। उसने अचंभित स्वर में पूछा,
‘‘कौन
हो भाई, तुम ?’’
आवाज आई, ‘‘ये मैं हूं। ऊपर से यह पत्थर लुढ़क कर आया और मेरे बिल से ठीक मुंह पर आकर टिक गया। अब बाहर कैसे निकलूं ? मैं तो मर जाऊंगा। कृपा करके यह पत्थर यहाँ से हटा दीजिए।’’
किसान ने पूंछा, ‘‘पर तुम हो कौन ?’’
‘‘मैं एक सांप हूं,’’ उत्तर मिला।
‘‘सांप.....? अगर मैंने तुम्हें बाहर निकाल दिया तो तुम मुझे काट लोगे।’’
‘‘नहीं काटूंगा ! मेरा वादा रहा ! बचा लो मुझे....प्लीज।’’
किसान को दया आ गई और उसने पत्थर बिल पर से हटा दिया। पत्थर हटते ही सांप बाहर लपका और किसान को काटने दौड़ा।
किसान उछलकर पीछे हटा और चिल्लाया, ‘‘यह क्या करते हो ? तुम तो कहते थे कि नहीं काटूंगा। तुमने वादा किया था।’’
आवाज आई, ‘‘ये मैं हूं। ऊपर से यह पत्थर लुढ़क कर आया और मेरे बिल से ठीक मुंह पर आकर टिक गया। अब बाहर कैसे निकलूं ? मैं तो मर जाऊंगा। कृपा करके यह पत्थर यहाँ से हटा दीजिए।’’
किसान ने पूंछा, ‘‘पर तुम हो कौन ?’’
‘‘मैं एक सांप हूं,’’ उत्तर मिला।
‘‘सांप.....? अगर मैंने तुम्हें बाहर निकाल दिया तो तुम मुझे काट लोगे।’’
‘‘नहीं काटूंगा ! मेरा वादा रहा ! बचा लो मुझे....प्लीज।’’
किसान को दया आ गई और उसने पत्थर बिल पर से हटा दिया। पत्थर हटते ही सांप बाहर लपका और किसान को काटने दौड़ा।
किसान उछलकर पीछे हटा और चिल्लाया, ‘‘यह क्या करते हो ? तुम तो कहते थे कि नहीं काटूंगा। तुमने वादा किया था।’’
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